Sunday, 5 February 2017

खिलखिला के

इक दबी सी हँसी फूटी उसके गालो से
और हर नज़ारा खिलखिला के हँस पड़ा #ग़द्दार

चाय सिगरेट

हर चुस्कियों की गर्माहट से
पिघल कर  मेरे भीतर भीतर
रवाँ हो रही थे साँसे  गहरे उतर कर
ले जा रही हो किसी अँधेरे कुँए पर
नज़्म घोली गई हो जैसे गिलास में

और हर कश तुम्हारा सिगरेट
जैसे खींच लाता है मुझे डूब जाने से #gaddarshayar