मेरे अंदर का शोर गूंजता है और लाता है जिसे बाहर, उस से लिखता हूँ मै जो, उसे नाम नही देता शेर, ग़ज़ल, नज्म अशआर का वो तो होते है बस बिखरें पन्नें मेरे
हर चुस्कियों की गर्माहट से पिघल कर मेरे भीतर भीतर रवाँ हो रही थे साँसे गहरे उतर कर ले जा रही हो किसी अँधेरे कुँए पर नज़्म घोली गई हो जैसे गिलास में
और हर कश तुम्हारा सिगरेट जैसे खींच लाता है मुझे डूब जाने से #gaddarshayar
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