Friday 26 February 2016

फिर पत्थर

हिज्र  कि  शाम   पे   ढलना   मेरा
बाकी है अभी आग में जलना मेरा

जिस्म  तो कई रंग   से   रंगा   मैने
फ़क़त चेहरा कालिख से मलना मेरा

ख़्वाब  छुने  की जिद जो करे    वो
हाथ   पत्थर  से      कुचलना   मेरा

"गद्दार" फ़ितरत से बाज आओ वर्ना
मुमकिन नहीं दिल का बदलना मेरा  #गद्दार

Sunday 7 February 2016

जानते हो तुम

                 झूठ कुछ मेरे थे कुछ सच तुम्हारे
           कुछ सच मेरे हो गये कुछ झूठ तुम्हारे

  तुम आगाज़ पे चुप थी, मै अंजाम में चुप था
      फिर ख़ामोश पत्थर के अंदाज में चुप था

     थोड़े दूर तक ही हम हमसफ़र बन चले थे
    और तेज़ क़दमो से चलने के मेरे फैसले थे

    तुम पीछे रह कर अब मुझे आवाज़े मत दो
   तुम जानती हो ना...................................
     .....मुझे लौट कर आना नहीं आता ........ गद्दार 

Friday 5 February 2016

फिर इक दफ़ा

हर इक   जुर्म पे  मिलती  नहीं  सजा
फिर इक दफ़ा   तूने मुझे माफ़ किया

बेजुबां भी   हक़ में तेरे    बोलने  लगे
खामोशियों को मेरी मेरे ख़िलाफ़ किया #गद्दार

Thursday 4 February 2016

साँवरी सी लड़की

ए  साँवरी  लड़की  
बंद  कर के मेरी आँखे
तू  शरारत  से  हँसे 
अनजान  बन  कर  
ना पहचाने जाने  का  तमाशा  में  करू
तेरे  अधरो  कि  मिट्टी प्यासी  है  अभी 
मै बादल  का  बहाना  कर  
तुझ  पर  बरसू.....
 मेरे  प्यार  के  आराइश  कि  सोंधी  सी  महक 
ना  जाये  चाहे  कितने  भी  
पहलु  बदलू 

– गद्दार