अर्जियां खोकर रह गयी पत्थर दराज में
लौटाने को मेज़ मकतल ईमान रखता हूं।
बे परवाह भीड़ में भागते बेखबर इंसान
पत्थरो में कांच का एक सामान रखता हूं।
आस्तीन-ए-गद्दार कई सांप पाले हुए
दूर की नजरो का एक गुमान रखता हूं।
उनसे कहो रिश्वत में कही रियायत करो
सिफारिशों का उनकी अहसान रखता हूं।
#gaddar
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