राज दफ़्न हो सारे, एक कुआ गहरा नहीं हु मै
ना उठा चीख मुझ पर के बहरा नहीं हु मै
बिजलियाँ कड़कती मुझ पे, अश्क़ की बारिशो में
बेलाग सा जंगल हु के सहरा नहीं हु मै
जीत की आरजू में, प्यादों की शह पर
हालात का मारा हु पर मोहरा नहीं हु मैं
#gaddar
No comments:
Post a Comment