मेरे अंदर का शोर गूंजता है और लाता है जिसे बाहर, उस से लिखता हूँ मै जो, उसे नाम नही देता शेर, ग़ज़ल, नज्म अशआर का वो तो होते है बस बिखरें पन्नें मेरे
इक दबी सी हँसी फूटी उसके गालो से और हर नज़ारा खिलखिला के हँस पड़ा #ग़द्दार
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