Monday 30 November 2015

ख्वाहिशे हक़ गद्दार

माना मुहब्बत में उजाले बहुत है
     वफ़ा के पैरों में छाले बहुत है

ख्वाहिशें उल्फ़त में बड़ती जा रहीं
  इन आँखों ने ख्वाब पाले बहुत है

     तुम्हें मुहब्बत में खुदा बनाया है
   नादान से दिल में शिवाले बहुत है

        नशा इतना कि मय चढ़ती नहीं
निगाहों में शराब के पियाले बहुत है

  छोड़ क्या रखा गैरो की रोटियों में  
"गद्दार" तेरे हक़ के निवाले बहुत है  #गद्दार

Sunday 29 November 2015

ख्याल

हल्के हाथों से मिटा रहा है चादरों से ख्याल मेरा
           मिटा भी पायेगा ज़ेहन से वो  विसाल मेरा  #गद्दार

(विसाल -मिलन)

Saturday 28 November 2015

ये गुलाब

दिल में छुपा लो मगर खुशबुएँ ही दूँगा
मेरी फ़ितरत भी हुई कुछ गुलाब की तरह #gaddar

इक गुलाब

दिल में बसा कर गुलाब सा देखो
तमन्ना मेरी भी कुछ ख़ुश्बू सी अब #गद्दार

Friday 27 November 2015

भीगी ज़ुल्फ़

भीगी सी जुल्फों को झटक कर पलटती हो
इक ख्याल कसीदे सा ग़ज़ल पन्नों को उलटती हो #gaddar

Wednesday 25 November 2015

इक तुम और

तेरी इन आँखों से छलकता
हर अश्क का मोती गिरता है

इन पानियों पर और उछल कर

उलझ जाती है कुछ बुँदे
तुम्हारी इन जुल्फों में 

और  सुनहरी सी किरण गुजर कर
बनाती है इंद्र धनुषी छटाएं

तो चांदनी भी करती है  रस्क तुम्हारी किस्मत पर

आ जाती है नर्मियत  हवाओं में
और बन बदलियाँ बरस पड़ती है इक मुझ पर

भीग जाता हूँ मै अपनी ही रूह तक
जब तेरी आँखों से छलकता हर अश्क .......#gaddar

Tuesday 24 November 2015

टूटता सितारा

क्या करे कोई सितारा टूट कर ख्वाहिश न हो
अब मेरी चाहत को भी मुझसे कोई ख्वाहिश नहीं

#gaddar

Monday 23 November 2015

अंगड़ाई

शोखियां अर्श से फर्श पे उतर आई है
   फिर मासूम ख़्यालो की अंगड़ाई  है #gaddar

Tuesday 17 November 2015

किताब लिख रहा हूँ

        जानता हूँ तुम्हें  हैरान दिख रहा हूँ
मै आँखों में अपनी किताब लिख रहा हूँ

             पढ़ना चाहो तो नज़रे मिलाओ
                 बंद करना तो नज़रे हटाओ

इन आँखों से हर्फ़ की जुबां सीख रहा हूँ
मै आँखों में अपनी किताब लिख रहा हूँ

वो बातें, वो यादें और मुलाकातों के पल
        पन्नों पे किस्से तमाम लिख रहा हूँ   #गद्दार