Tuesday 6 December 2016

कश्ती

अगर कश्ती में हो तो
आइये बादबान संभालिए
अगर किनारे पे हो तो,
फिर देखिये तूफ़ां का मजा
#ग़द्दार

Wednesday 16 November 2016

#StandWithSonamGupta

सदियों से मुहब्बत का इक ही फलसफा है
इक बावफ़ा है  तो इक बेवफ़ा है  #ग़द्दार

नोट पर लिखने वाले -
मुहब्बत को इस कदर रुसवा किए हो तुम
की थी बेवफाई  उसने, या बेहया हो तुम #ग़द्दार

मुहब्बत में जुनूँ के आगाज देखे
मुहब्बत में जुनूँ के  अंजाम  देखे
अगर बावफ़ा हो तुम  तो गिरेबाँ देखो
अगर  बेवफा वो है तो  इनाम देखे   #ग़द्दार

नाकामी ए मुहब्वत के पहलू और भी निकले
लिखने चले थे जो दिल पे वो नोटों पे लिख गए #ग़द्दार

नाजुक सी मुहब्वत थी दोनों के दरमियां
नोटों पे लिख के सरेआम बेआबरू किया #ग़द्दार

Saturday 25 June 2016

बारिशें भीगना गद्दार

इशारों में कहने लगा हूँ, कुछ बताने की जगह
पास   तेरे आने लगा हूँ, दूर    जाने की जगह

चेहरे तेरे जबसे मुझे इन बादलों में  दिखने लगे
भीगता  ही मै रहा  फिर सर छुपाने की जगह

नींदों में बिखेरेे गेसुओं से रुख़ पर वो मासूमियत
देखता  ही मै रहा   तुझको  जगाने की जगह

मेरी  इन  नादानियों  पर  जब   मुझे हो डाँटती
झूठमुठ  का रो  देता मै  मुस्कुराने  की  जगह

नज़्म सी लिक्खी थी मैने हो गई तुम इक ग़ज़ल
फिर जोर जोर गाने लगा मै  गुनगुनाने  की जगह #गद्दार
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Tuesday 21 June 2016

हवस कीमत गद्दार

जवां कश्ती सफ़र करने सभी तैयार बैठे है
जो बैठे  है किनारे पर समझते पार   बैठे है

फूल से चेहरों पर लिखकर नाखुनो से कुछ निशां
हवस की आग में जलकर मुक़दमे हार बैठे है

उजड़ी  हुई  दुनिया में, मेरे दिल का ये आलम
खुदा भी ये जानता है के दिल में, दो चार बैठे है

कीमत लगा कर रखते है अपने जमीर  की
जिधर देखो उधर, हर शक्ल में "गद्दार" बैठे है #गद्दार

Monday 20 June 2016

टूटी कश्ती गद्दार

दिल ऐसे जीते सब कुछ  हार  आए
टूटी कश्तीयाँ साहिल पे उतार आए

खामोशीयों को हमने ओढ़ लिया है
क्यूँ दरमियां शीशो  की दीवार आए

याद तुम्हारी  वादियो में गूंजती सदा
जो पुकारूँ एक बार तो बार बार आए

कमाल किया तेरी चाहतों के बिना
कुछ ऐसे जिए के जिंदगी गुजार आए #गद्दार

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Saturday 18 June 2016

गुनाह राब्ता गद्दार

भुख लेकर आई जो हवस  निग़ाह में
इक गुनाह फिर लिक्खो मेरे गुनाह में

इंसाफ क्या मिलेगा तराजू में तौलकर
आ  गए जो  मुज़रिम   तेरे  गवाह में

सफ़र की थकन में हारा हुआ ये जिस्म
लौटकर ले    आयेगा  तेरी  पनाह  में

कितना हसीं राब्ता अश्क और आह का
मै उसके इम्तिहां में हूँ वो मेरे इम्तिहा में #गद्दार


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Sunday 12 June 2016

ख़ामोशी जुर्म गद्दार

स्याही में अश्कों को घोलता रहा
मै खामोश   जुबां में बोलता रहा

दरिया, मयख़ाने हर ठिकाने देखें
तिश्नगी में   समंदर टटोलता  रहा

क़ातिल के   हक़ बयां पर चुप मै
मुंसिफ के लफ़्ज़ों को तौलता रहा

मेरे हुनर को वो कहते है जुर्म "गद्दार"
मै बिन चाबी से सब ताले खोलता रहा
#गद्दार

Saturday 11 June 2016

चाँद घुँघरू गद्दार

चाँद के पर कतरता हूँ उन्हें  जुगनूं  बनाता हूँ
फुल के जिस्म में रहकर उन्हें खुश्बू बनाता हूँ

ख़्वाब पहलू में आकर मेरे, घर लौट जाते है 
मै  नींदों में गर रहता हूँ  उन्हें हर सू  बनाता हूँ

दर्द  भीगी रात के तकियों पर कटती है 
मै अगर दिल में रोता हूँ तो आंसू बनाता  हूँ 

आती है दबे पाँव से वो गाती हुई   ग़ज़ल 
झंकार के ख़ातिर   उन्हें घुँघरू बनाता हूँ 
#गद्दार



Friday 10 June 2016

चिट्ठियाँ यार गद्दार

तमन्ना ए दीदार ने आँखों में    पनाह ली
अजब सी खुमारी थी पलकों ने छुपा ली

लफ्ज़  होंठो पर लरजते  थम गए मेरे
निग़ाह यार ने  मेरी निग़ाहों  से मिला ली

हर किसी आहट पर  दिल जोर से धड़के
चिठ्ठीयाँ यार की आई थी मुट्ठी में दबा ली

रातों में लिक्खी तहरीरें मै पढ़ न सकूँ
खामखाँ इश्क़ की आफत में नींदे उड़ा ली
#गद्दार

Monday 6 June 2016

गुलाब जलपरी गद्दार

    होंठो की रंगत देखता हूँ खुद को भुला कर
ज्यों गुलाब की दो पँखुड़ी रक्खी हो सजा कर

फूल  झरते  है   झिलमिल, झिलमिल  से  तेरे
हँसती हो जब  तुम मुझपे यूँ  खिल खिला कर

जलपरी तक भी पहुचेंगे  लिक्खे सब ख़त मेरे
दिये  थे  जो लहरों  को   साहिल  ने  बुला कर

इजहार ए मुहब्बत   पर  खामोशियों   से  वो
अब  भी   टाल  देगी  हर  सवाल मुस्कुरा  कर
#गद्दार

Sunday 5 June 2016

जवानी शराब गद्दार

रक्खी थी यादों कि निशानी संभाल कर
फ़ेक दी वो   चिट्ठियां  सारी  उछाल कर 

रिश्ते  वो  इक सिरे से उलझा गये   सारे 
किरदार  इक नया  कहानी में डाल कर 

बहकने लगती सोलह सत्रह की उमर में 
रखती नही कदम   जवानी  संभाल  कर 

शराब जो  लिखते  हो  इस मर्ज की दवा 
पी  गया  घूंट  घूंट     पानी  में  डाल  कर #गद्दार



Tuesday 24 May 2016

दर्द की जंजीरे

देख कर इन हाथों में लकीर मेरी
फाड़ दो वो पास की तस्वीरें मेरी

शोर सी करती है यूँ खींच तान में
छटपटाने से दर्द  की  जंजीरें मेरी

होती नहीं है शक्लें हकीकत बारहा
ख़्वाब से जुदा होती है ताबीरें मेरी

आंधियां आह सी उठे या अश्क ए सुनामी
समन्दर तक शामिल है जागीरें मेरी 

#गद्दार

Friday 26 February 2016

फिर पत्थर

हिज्र  कि  शाम   पे   ढलना   मेरा
बाकी है अभी आग में जलना मेरा

जिस्म  तो कई रंग   से   रंगा   मैने
फ़क़त चेहरा कालिख से मलना मेरा

ख़्वाब  छुने  की जिद जो करे    वो
हाथ   पत्थर  से      कुचलना   मेरा

"गद्दार" फ़ितरत से बाज आओ वर्ना
मुमकिन नहीं दिल का बदलना मेरा  #गद्दार

Sunday 7 February 2016

जानते हो तुम

                 झूठ कुछ मेरे थे कुछ सच तुम्हारे
           कुछ सच मेरे हो गये कुछ झूठ तुम्हारे

  तुम आगाज़ पे चुप थी, मै अंजाम में चुप था
      फिर ख़ामोश पत्थर के अंदाज में चुप था

     थोड़े दूर तक ही हम हमसफ़र बन चले थे
    और तेज़ क़दमो से चलने के मेरे फैसले थे

    तुम पीछे रह कर अब मुझे आवाज़े मत दो
   तुम जानती हो ना...................................
     .....मुझे लौट कर आना नहीं आता ........ गद्दार 

Friday 5 February 2016

फिर इक दफ़ा

हर इक   जुर्म पे  मिलती  नहीं  सजा
फिर इक दफ़ा   तूने मुझे माफ़ किया

बेजुबां भी   हक़ में तेरे    बोलने  लगे
खामोशियों को मेरी मेरे ख़िलाफ़ किया #गद्दार

Thursday 4 February 2016

साँवरी सी लड़की

ए  साँवरी  लड़की  
बंद  कर के मेरी आँखे
तू  शरारत  से  हँसे 
अनजान  बन  कर  
ना पहचाने जाने  का  तमाशा  में  करू
तेरे  अधरो  कि  मिट्टी प्यासी  है  अभी 
मै बादल  का  बहाना  कर  
तुझ  पर  बरसू.....
 मेरे  प्यार  के  आराइश  कि  सोंधी  सी  महक 
ना  जाये  चाहे  कितने  भी  
पहलु  बदलू 

– गद्दार 


Saturday 30 January 2016

ख़ुश्क नज़रे

दूर से देखा  तो बस  इतना  लगा
इक तेरा चेहरा मुझे   अपना लगा

इक लहर आकर मुझे   यूँ  छु गई
दरमियां वो   अनकहा रिश्ता लगा

बाँटकर खुशियाँ मुझे गम ही मिले
जानकर सौदा    बड़ा  महँगा लगा

 ख़ुश्किया नज़रों में इतना समां गई
रेत का साहिल      मुझे सहरा लगा।      #गद्दार


Friday 29 January 2016

राधा

पानी पर बनाती ये बदलियाँ की छाह..,
,एक तुम्हारी ही तस्वीर.............
जिसे देख
हैरत में चाँद भी ................. खो रहा
और बिखरती चांदनी से पूछ रहा ...
इक तुम्हारा  नाम "राधा"            #गद्दार

दाग

लफ्ज़ो से चल जाये   हाले दिल का पता
सीने से दिल, दिल से जिगर दाग़दार मेरा #गद्दार

Thursday 28 January 2016

वस्ल अंजाम गद्दार

वस्ल से  खार      खाये   बैठा हूँ
मै फ़ूल से तितली उड़ाये बैठा हूँ

मोहब्बतों में ये रास आया मुझको
गैरो  से  दिल    लगायें    बैठा  हूँ

शब् ए हिज्र गुजरना बाकी मुझ पर
    मै शाम से दिया जलायें बैठा हूँ

मुहब्बत में गद्दारियों के अंजाम देख लो
   अपनी ही तन्हाईयां लुटाये बैठा हूँ         #गद्दार

Tuesday 26 January 2016

पत्थर 8

कहना मेरा ही महंगा पड़ा मुझे
शीशे सी बात थी पत्थर जुबानी हो गई #गद्दार

Sunday 24 January 2016

चाँद दरिया

रात जो देती है मुझे रोटी चाँद की
अपने हिस्से की मै दरिया से बाँटता हूँ #गद्दार

जख्म मेरे

          हवाएँ तो लिये घूमती है वक़्त ए मरहम
  जख़्म की ये हसरत कि वो भरना नहीं चाहता  #गद्दार

Saturday 23 January 2016

मेरे अपने

वक़्त के बुरे असर ने सिखलाये मुझ को सबक
               मेरे ही कुत्ते भोंकते है मुझ पर दूर से #गद्दार

गुलाबी नक़्श

   पँखुड़ी के फर्श पर यूँ लेटना तेरा
नक़्शे उभारता है तुम पर गुलाब के  #गद्दार

Friday 22 January 2016

मेरा ख्वाब

   फूल कली सतरंगी ख्वाब
   तितली भौरा सुर्ख़ गुलाब

  घूँघट में मुखड़ा छुपता था
  बदलियों में ...... माहताब

  इक समंदर चाँदनी रात में
  ज्वार सा चढ़ता.....शबाब

   झुकते उठते    कजरे नैना
  पीता जाता .....इक शराब
 
   शबनम चुराता आकर मेरा
   होले होले.........आफ़ताब   #गद्दार


आबशार चिनार गद्दार

       सुर्ख़ होंठो से सरके साँसे शरारा
     फिजां में दहकता आतिशे चिनार

  जुल्फ़े शानो से लहराई कमर तक यूँ
       ज्यों परबत  उतरता हो आबशार  #गद्दार

आतिशे चिनार = fire of maple leaves 
             शानों = shoulder
         आबशार =waterfall

Thursday 21 January 2016

नज़ाकत

   महकते  से गेसू अदा में नज़ाकत
    शरारत दिल में   जुबां पे शराफ़त

नज़र में वो बांधे उड़ती तितअलियाँ
 लचकती कमरियां चलना क़यामत #गद्दार

Wednesday 20 January 2016

सवाल ओ जवाब

 पहले रखो  ये अपना दामन संभाल के
 फिर देखना मुझ पर कीचड़ उछाल के

  आज कि   ये रात  बस   चैन से  गुज़रे
  कल  से  मै रखूँगा ये   दिल निकाल के

  झूठ मै    कभी          कहता नहीं तुम्हें
  देता  नहीं  जवाब   बस कुछ सवाल के

"गद्दार" उस गली से गुजरो एहतियात से
रखता है वो तेरे नाम के पत्थर संभाल के  #गद्दार

Tuesday 19 January 2016

हद

     अपनी जुबां से कहो के हद में रहें
बात उतनी ही करे जो तेरे कद में रहें

  आता है हर तरीके से समझाना मुझे
खास कर उनको जो किसी मद में रहें  #गद्दार

Monday 18 January 2016

नींद

सभी तो सो ही जाते है सिसकियां लेकर
        इक मुझे ही नींद आती नहीं है क्यूँ   #गद्दार


शबनम

चाहा था मैने तेरे और भी करीब आना
छुते ही मानिंद शबनम के बिखर गई तुम #गद्दार

खुशबुएँ ही खोलेगी इन गुलाबो के ये ख़त
क्या लिखा है शबनमी और क्या अधूरा रह गया ...#गद्दार

Sunday 17 January 2016

तेरा ख्याल

     इक शाम पे आता है जब ख्याल तेरा
सुबह  तक होश में फिर आता नहीं हूँ मै  #गद्दार

गहराईयाँ


    खो जाओगी जो मिलोगी इन तन्हाइयों में
नज़र आता नहीं साहिल से कुछ गहराइयों में  #गद्दार

Saturday 16 January 2016

ये हाथ तुम्हारा

अगर सोचूँ के ये हाथ
थामना चाहता है बारिशों को
भरना चाहता है अपने आगोश में
उन मोतीयों को जो टकरा कर बिखर जायेंगे
मानिंद ख़ुशी,
तो खो न देना तुम.......
समेट लो इन पानियों को...
जो कभी मेरा हिस्सा थी /कभी तुम्हारा /कभी हमारा
और कभी हम इस के और ..........
.ये हाथ तुम्हारा............#गद्दार

चुप्पी

यूँ तो कहने को बहुत कुछ है इस शेर में मेरे
          लुत्फ़ इस बात का के चुप रहा जाए।    #गद्दार 

बाजीगर तमाशा


       आईने देखोगें तो सब नज़र आयेगा
        लफ्ज़ो से खेलता बाजीगर आयेगा

      तुम सायें पे पैर रख कर निकलते हो
        इल्ज़ाम इसका भी मेरे सर आयेगा

          खता मेरी मुझे नज़र से गिरा देगी
       ज़ल्दी ही इन बातो में असर आयेगा

          फिर बे नतीजा रहेंगे सवालात मेरे
          जवाब इनका भी मुख़्तसर आयेगा        #गद्दार

वफ़ा

मुक़ाबले इन वफ़ाओं के में बेवफ़ा शायर
वो दिल जीतती रही मै लफ्ज़ हारता रहा #गद्दार

Friday 15 January 2016

मै परेशां

मुझ में शामिल हो तुम कुछ इस तरह
की में परेशां हूँ की तुम परेशां क्यूं हो  @गद्दार​

शीशा ए दिल

    सरसराहट सा दिल से गुजर जाऊँगा
   क्या जानता था दिल में उतर जाऊँगा

कह दिया था ना करीब से ना गुज़रो मेरे
शीशा ए दिल हूँ टकरा के बिखर जाऊँगा  #गद्दार




Thursday 14 January 2016

रास्ते साया गद्दार

यूँ हाल पूँछकर वक़्त जाया ना कर
   इसी हाल में ख़ुश हूँ साया ना कर

इक तुम को साया नज़र आता नहीं
    रौशनी भी इतनी जियादा ना कर

रास्तो का  बिछड़ना देख लिया मैने
  मिलने किसी हाल में आया ना कर

आइना दिखलाता है शख्शियत मेरी
कौन है "गद्दार" याद दिलाया ना कर    #गद्दार

Tuesday 12 January 2016

इश्क़ तेरा

खुद को इश्क में तेरे इतना यकीं दिला रखा है
अक्स में   मेरे  तेरा अक्स नज़र आने लगा है  #गद्दार

पत्थर 7

उल्फ़त के आईने में  सायें देख कर
पत्थर फेकने के मेरे इरादे बदल गए #गद्दा

ख़्वाब इंतिखाब गद्दार

तन्हाई में रातों सा शबाब आता है
कैसे बंद आँखों में ख़्वाब आता है

मेरी बर्बादियों में जो शुमार रहा है
उन   निगाहों पे इंतिख़ाब आता है

आप समंदर ढूंढते हो डूबने खातिर
कि पानी दरिया में बेहिसाब आता है

उठ उठ आते है सौ सवाल तुम पर
"गद्दार" उन पर  एक जवाब आता है  #गद्दार 

Monday 11 January 2016

पत्थर 6

सवाल  शीशे  से  जो   उठेंगे   तुम पर
जवाब में ख़ामोशियों के पत्थर उठाना #गद्दार

Sunday 10 January 2016

पत्थर 5

सवाल वजूद का तो मेरे दरमियां था
आइना क्यूँ आइना देख कर हैरान था #गद्दार

पत्थर 4

टुटा जो आइना वो अपनी ही जिद पे था
  पत्थर तो मेरे हाथ का अब भी हैरान है #गद्दार

Sunday 3 January 2016

इक रात गद्दार

 तुम्हें रात भर सोचकर देखा
 खुद को रात  जगाकर देखा

   सर्द हवा सी दस्तक पर  यूँ
दिल दरवाज़ा खोलकर देखा

क्या सोचती हो सोचकर देखा
क्या बोलती हो बोलकर देखा

  नींद चुभी जब पलकों पर तो
बंद आँखों को खोलकर  देखा

   साँस उठी जब महकी महकी
   सिरहाने       टटोलकर  देखा  #गद्दार

Saturday 2 January 2016

मुरली

जो छुते हो मुरली को तिश्ना लबों से
वो जानिब मुझे खींच लाते तुम्हारे ।  #गद्दार