इक गुनाह फिर लिक्खो मेरे गुनाह में
इंसाफ क्या मिलेगा तराजू में तौलकर
आ गए जो मुज़रिम तेरे गवाह में
सफ़र की थकन में हारा हुआ ये जिस्म
लौटकर ले आयेगा तेरी पनाह में
कितना हसीं राब्ता अश्क और आह का
मै उसके इम्तिहां में हूँ वो मेरे इम्तिहा में #गद्दार
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