तेरी इन आँखों से छलकता
हर अश्क का मोती गिरता है
इन पानियों पर और उछल कर
उलझ जाती है कुछ बुँदे
तुम्हारी इन जुल्फों में
और सुनहरी सी किरण गुजर कर
बनाती है इंद्र धनुषी छटाएं
तो चांदनी भी करती है रस्क तुम्हारी किस्मत पर
आ जाती है नर्मियत हवाओं में
और बन बदलियाँ बरस पड़ती है इक मुझ पर
भीग जाता हूँ मै अपनी ही रूह तक
जब तेरी आँखों से छलकता हर अश्क .......#gaddar
No comments:
Post a Comment