Wednesday, 25 November 2015

इक तुम और

तेरी इन आँखों से छलकता
हर अश्क का मोती गिरता है

इन पानियों पर और उछल कर

उलझ जाती है कुछ बुँदे
तुम्हारी इन जुल्फों में 

और  सुनहरी सी किरण गुजर कर
बनाती है इंद्र धनुषी छटाएं

तो चांदनी भी करती है  रस्क तुम्हारी किस्मत पर

आ जाती है नर्मियत  हवाओं में
और बन बदलियाँ बरस पड़ती है इक मुझ पर

भीग जाता हूँ मै अपनी ही रूह तक
जब तेरी आँखों से छलकता हर अश्क .......#gaddar

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