Monday, 30 November 2015

ख्वाहिशे हक़ गद्दार

माना मुहब्बत में उजाले बहुत है
     वफ़ा के पैरों में छाले बहुत है

ख्वाहिशें उल्फ़त में बड़ती जा रहीं
  इन आँखों ने ख्वाब पाले बहुत है

     तुम्हें मुहब्बत में खुदा बनाया है
   नादान से दिल में शिवाले बहुत है

        नशा इतना कि मय चढ़ती नहीं
निगाहों में शराब के पियाले बहुत है

  छोड़ क्या रखा गैरो की रोटियों में  
"गद्दार" तेरे हक़ के निवाले बहुत है  #गद्दार

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