माना मुहब्बत में उजाले बहुत है
वफ़ा के पैरों में छाले बहुत है
ख्वाहिशें उल्फ़त में बड़ती जा रहीं
इन आँखों ने ख्वाब पाले बहुत है
तुम्हें मुहब्बत में खुदा बनाया है
नादान से दिल में शिवाले बहुत है
नशा इतना कि मय चढ़ती नहीं
निगाहों में शराब के पियाले बहुत है
छोड़ क्या रखा गैरो की रोटियों में
"गद्दार" तेरे हक़ के निवाले बहुत है #गद्दार
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