Thursday 28 January 2016

वस्ल अंजाम गद्दार

वस्ल से  खार      खाये   बैठा हूँ
मै फ़ूल से तितली उड़ाये बैठा हूँ

मोहब्बतों में ये रास आया मुझको
गैरो  से  दिल    लगायें    बैठा  हूँ

शब् ए हिज्र गुजरना बाकी मुझ पर
    मै शाम से दिया जलायें बैठा हूँ

मुहब्बत में गद्दारियों के अंजाम देख लो
   अपनी ही तन्हाईयां लुटाये बैठा हूँ         #गद्दार

No comments: