Saturday 2 January 2016

पत्थर 3

  दौड़कर    चलता हूँ लांघ कर निकल जाऊँगा
 तबियत ऐसी नहीं मेरी देखूँगा फिसल जाऊँगा

  शाम ए उल्फ़त में रंग बदलते होंगे   फ़लक पे
  मै रात का मंजर हूँ    पत्थर  में बदल जाऊँगा #गद्दार

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