इक दबी सी हँसी फूटी उसके गालो से
और हर नज़ारा खिलखिला के हँस पड़ा #ग़द्दार
ek shayar gaddar /एक शायर गद्दार
मेरे अंदर का शोर गूंजता है और लाता है जिसे बाहर, उस से लिखता हूँ मै जो, उसे नाम नही देता शेर, ग़ज़ल, नज्म अशआर का वो तो होते है बस बिखरें पन्नें मेरे
Sunday, 5 February 2017
खिलखिला के
चाय सिगरेट
हर चुस्कियों की गर्माहट से
पिघल कर मेरे भीतर भीतर
रवाँ हो रही थे साँसे गहरे उतर कर
ले जा रही हो किसी अँधेरे कुँए पर
नज़्म घोली गई हो जैसे गिलास में
और हर कश तुम्हारा सिगरेट
जैसे खींच लाता है मुझे डूब जाने से #gaddarshayar
Tuesday, 6 December 2016
Wednesday, 16 November 2016
#StandWithSonamGupta
सदियों से मुहब्बत का इक ही फलसफा है
इक बावफ़ा है तो इक बेवफ़ा है #ग़द्दार
इक बावफ़ा है तो इक बेवफ़ा है #ग़द्दार
नोट पर लिखने वाले -
मुहब्बत को इस कदर रुसवा किए हो तुम
की थी बेवफाई उसने, या बेहया हो तुम #ग़द्दार
मुहब्बत को इस कदर रुसवा किए हो तुम
की थी बेवफाई उसने, या बेहया हो तुम #ग़द्दार
मुहब्बत में जुनूँ के आगाज देखे
मुहब्बत में जुनूँ के अंजाम देखे
अगर बावफ़ा हो तुम तो गिरेबाँ देखो
अगर बेवफा वो है तो इनाम देखे #ग़द्दार
मुहब्बत में जुनूँ के अंजाम देखे
अगर बावफ़ा हो तुम तो गिरेबाँ देखो
अगर बेवफा वो है तो इनाम देखे #ग़द्दार
नाकामी ए मुहब्वत के पहलू और भी निकले
लिखने चले थे जो दिल पे वो नोटों पे लिख गए #ग़द्दार
लिखने चले थे जो दिल पे वो नोटों पे लिख गए #ग़द्दार
Saturday, 25 June 2016
बारिशें भीगना गद्दार
इशारों में कहने लगा हूँ, कुछ बताने की जगह
पास तेरे आने लगा हूँ, दूर जाने की जगह
चेहरे तेरे जबसे मुझे इन बादलों में दिखने लगे
भीगता ही मै रहा फिर सर छुपाने की जगह
नींदों में बिखेरेे गेसुओं से रुख़ पर वो मासूमियत
देखता ही मै रहा तुझको जगाने की जगह
मेरी इन नादानियों पर जब मुझे हो डाँटती
झूठमुठ का रो देता मै मुस्कुराने की जगह
नज़्म सी लिक्खी थी मैने हो गई तुम इक ग़ज़ल
फिर जोर जोर गाने लगा मै गुनगुनाने की जगह #गद्दार
सोर्स गूगल इमेजेस |
Tuesday, 21 June 2016
हवस कीमत गद्दार
जवां कश्ती सफ़र करने सभी तैयार बैठे है
जो बैठे है किनारे पर समझते पार बैठे है
फूल से चेहरों पर लिखकर नाखुनो से कुछ निशां
हवस की आग में जलकर मुक़दमे हार बैठे है
उजड़ी हुई दुनिया में, मेरे दिल का ये आलम
खुदा भी ये जानता है के दिल में, दो चार बैठे है
कीमत लगा कर रखते है अपने जमीर की
जिधर देखो उधर, हर शक्ल में "गद्दार" बैठे है #गद्दार
जो बैठे है किनारे पर समझते पार बैठे है
फूल से चेहरों पर लिखकर नाखुनो से कुछ निशां
हवस की आग में जलकर मुक़दमे हार बैठे है
उजड़ी हुई दुनिया में, मेरे दिल का ये आलम
खुदा भी ये जानता है के दिल में, दो चार बैठे है
कीमत लगा कर रखते है अपने जमीर की
जिधर देखो उधर, हर शक्ल में "गद्दार" बैठे है #गद्दार
Monday, 20 June 2016
टूटी कश्ती गद्दार
दिल ऐसे जीते सब कुछ हार आए
टूटी कश्तीयाँ साहिल पे उतार आए
खामोशीयों को हमने ओढ़ लिया है
क्यूँ दरमियां शीशो की दीवार आए
याद तुम्हारी वादियो में गूंजती सदा
जो पुकारूँ एक बार तो बार बार आए
कमाल किया तेरी चाहतों के बिना
कुछ ऐसे जिए के जिंदगी गुजार आए #गद्दार
टूटी कश्तीयाँ साहिल पे उतार आए
खामोशीयों को हमने ओढ़ लिया है
क्यूँ दरमियां शीशो की दीवार आए
याद तुम्हारी वादियो में गूंजती सदा
जो पुकारूँ एक बार तो बार बार आए
कमाल किया तेरी चाहतों के बिना
कुछ ऐसे जिए के जिंदगी गुजार आए #गद्दार
सोर्स गूगल इमेजेस
Subscribe to:
Posts (Atom)