मै लिखूँ या चुप रंहू जवाब की तलाश में
जाने क्या बारे में मेरे अब से सोचा जायेगा
फैसला भी जानकर तुझको ही तकता रंहू
तू कहे कोई और है, मुझको देखा जायेगा
उसका क्या जो लिख गया तहरीर इन पानियों पे
क्या उसे अब आग के हाथों मिटाया जायेगा।
फैसले मुझसे कहें सज़ाएं भी अब तुम को ही हो
मुंसिफ के बयानों में गुनहगार माना जायेगा
कह गये ये फ़ासले नजदीकियां आसां ना है
हम भी देखेंगे अब कोई कँहा तक जायेगा
उसके आंसू दर्द ये घाव कुरेदे हुए
दिल की शह और मात में "गद्दार" मारा जायेगा
#गद्दार
No comments:
Post a Comment