जला ही देंगे ये सुलगते से ख़्वाब मुझे
मिलते नहीं इन सवालो के जवाब मुझे
हर शाम दरिया पे ये नज़ारे होते है
डूबता मिले ख्वाहिशें आफ़ताब मुझे
तेरी मुआफ़ी मेरे लिये मानिंद ए सज़ा
क्यूँ दे दिये ये "गद्दार" से ख़िताब मुझे
जब भी तेरी यादों के पन्नें उलटता हूँ
क्यूँ मिलते नहीं सूखे हुए गुलाब मुझे
#गद्दार
No comments:
Post a Comment