Friday, 10 June 2016

चिट्ठियाँ यार गद्दार

तमन्ना ए दीदार ने आँखों में    पनाह ली
अजब सी खुमारी थी पलकों ने छुपा ली

लफ्ज़  होंठो पर लरजते  थम गए मेरे
निग़ाह यार ने  मेरी निग़ाहों  से मिला ली

हर किसी आहट पर  दिल जोर से धड़के
चिठ्ठीयाँ यार की आई थी मुट्ठी में दबा ली

रातों में लिक्खी तहरीरें मै पढ़ न सकूँ
खामखाँ इश्क़ की आफत में नींदे उड़ा ली
#गद्दार

No comments: