फुल के जिस्म में रहकर उन्हें खुश्बू बनाता हूँ
ख़्वाब पहलू में आकर मेरे, घर लौट जाते है
मै नींदों में गर रहता हूँ उन्हें हर सू बनाता हूँ
दर्द भीगी रात के तकियों पर कटती है
मै अगर दिल में रोता हूँ तो आंसू बनाता हूँ
आती है दबे पाँव से वो गाती हुई ग़ज़ल
झंकार के ख़ातिर उन्हें घुँघरू बनाता हूँ
#गद्दार
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