मेरे अंदर का शोर गूंजता है और लाता है जिसे बाहर, उस से लिखता हूँ मै जो, उसे नाम नही देता शेर, ग़ज़ल, नज्म अशआर का वो तो होते है बस बिखरें पन्नें मेरे
कीजिऐ आज गुजारिश यहां रमज़ानों से अपने रोज़ों की हकीकत कहे इंसानों से बैठ तो जाते है हर बार हम इबादत में सीख पायें है क्या कुछ गीता औ कुरानों से
#gaddar
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