कहूं तुमसे की अदायें नहीं जानता
दिल में तेरे दरकती हुई सी आवाजें
टूट जाने की तो में वजहें नहीं जानता
फितरत से मेरी वाकिफ तो हो ही
नोलिश ना कर जफ़ायें नहीं जानता
पुछु तो हलक से आवाज़ ना निकले
साफ सा कहो में निगाहें नहीं जानता
डर था तो साथ आयी क्यों सफीना में
खामोश ही रहो में किनारें नहीं जानता
ना सोच में बदल जाऊंगा आगोश में
"गद्दार" हु गद्दार वो बाँहें नहीं जानता
@गद्दार
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