मेरे अंदर का शोर गूंजता है और लाता है जिसे बाहर, उस से लिखता हूँ मै जो, उसे नाम नही देता शेर, ग़ज़ल, नज्म अशआर का वो तो होते है बस बिखरें पन्नें मेरे
कबूल नही कयामत का दिन मेरी तकदीर का हिसाब अभी कर दे जख्म जितने भी देने है दे दे मुझे और जो भरने है बस अभी भर दे...
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