मेरे अंदर का शोर गूंजता है और लाता है जिसे बाहर, उस से लिखता हूँ मै जो, उसे नाम नही देता शेर, ग़ज़ल, नज्म अशआर का वो तो होते है बस बिखरें पन्नें मेरे
बैठ मुहब्बत शतरंज को ले बिसात हो कोई प्यादे की ख़ुदकुशी महज एक सवाल हो कोई
रानी की सलामती को फिक्रमंद सब यंहा घोडा ही चल सके ढाई आखर चाल हो कोई #गद्दार
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