इशारों में कहने लगा हूँ, कुछ बताने की जगह
पास तेरे आने लगा हूँ, दूर जाने की जगह
चेहरे तेरे जबसे मुझे इन बादलों में दिखने लगे
भीगता ही मै रहा फिर सर छुपाने की जगह
नींदों में बिखेरेे गेसुओं से रुख़ पर वो मासूमियत
देखता ही मै रहा तुझको जगाने की जगह
मेरी इन नादानियों पर जब मुझे हो डाँटती
झूठमुठ का रो देता मै मुस्कुराने की जगह
नज़्म सी लिक्खी थी मैने हो गई तुम इक ग़ज़ल
फिर जोर जोर गाने लगा मै गुनगुनाने की जगह #गद्दार
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