मेरे अंदर का शोर गूंजता है और लाता है जिसे बाहर, उस से लिखता हूँ मै जो, उसे नाम नही देता शेर, ग़ज़ल, नज्म अशआर का वो तो होते है बस बिखरें पन्नें मेरे
Monday, 22 June 2015
इश्क़ कातिल
रूह कत्ल हो गई थी मेरी कल रात में
इश्क़ कातिल भी शामिल था वारदात में
छींटे भी खंजर पे, दामन भी दागदार
खूं-ए-जां का सर्द रंग बहा जज्बात में
मुंसिफ के बयानों में जारी है फेरबदल
जिरह भी हो चुकी है अब हवालात में
आरोप भी है लगे, दफाए भी अब लगेगी
शक ए वफ़ा वजह मालूम हुई तहकीकात में
इंसाफ क्या मिलेगा तराजू में तौल कर
फैसले होते नहीं इनके अदालात में
दिल भी ये शरीक था इश्क़ के साथ
"गद्दार" अब क्या करे इस हालात में
@गद्दार
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