दर्द में खुद को डुबाना है मुश्किल
जैसा दर्द हो मुताबिक असर होता है
जैसा दर्द हो मुताबिक असर होता है
क्यों झांकते फिरे गुलशन के चारो और
मौसम-ए-गुल तो भीतर की तरफ होता है
तूने कुछ राय बना ली हो बारे में मेरे
उससे साबित ही हर बार कुछ गलत होता है।
मौसम-ए-गुल तो भीतर की तरफ होता है
रो लो तुम तो बारिश की झलक हो
हंस दो तो बहारो सा नजारा होता है
हंस दो तो बहारो सा नजारा होता है
किसी की परवाह ना करु,तेरी बातें खामोश सुनु,
ऐसी हालत हे मेरी , शराब का हल्का सा असर होता है
रातो रातो जागते कटती है राते मेरी
आँखों-आँखों में नया पहर होता है
आँखों-आँखों में नया पहर होता है
तूने कुछ राय बना ली हो बारे में मेरे
उससे साबित ही हर बार कुछ गलत होता है।
No comments:
Post a Comment