Sunday, 7 June 2015

एक चेहरा वो तेरा

एक चेहरे पे लगा के चेहरा देखु मगर
एक चेहरा वो तेरा ना भुला ना भुलायेगा
लौटना अब मुनासिब हो अगर या ना भी हो
तेरी राहे देखना भी नमाजो सा हो जायेगा
राख देखी रंज देखा,देखे कुऐ गहरे मगर
अब मेरा दिल डूबता सा,डूबता ही जायेगा
घर की राह लोटा हु, एक चुभन ठंडी सी है
नश्तरे दिल में चुभी या चुभ रही बाहर कंही
अब सितारे देख मुझको टिमटिमाना बंद करे
क्या गुनाह मुझ से हुआ अब छुप रहा है चांद भी
जग भरोसा ना करे तो ना करे ये भी सही
वो भरोसा ना करे, “गद्दार” अब किसको कंहू
क्या करे कोई सितारा टूट कर ख्वाइश ना हो
मेरी चाहत को भी अब मुझ से कोई ख्वाइश नहीं
@गद्दार

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