रात बगल में लेटे लेटे जाने क्या वो सोच रहीउसकी नज़रे कह गयी जाने क्या एक शोख ग़ज़ल
मेरे जेहन से उतर कर सिरहाने वो आयी थी
रातो रातो जाने क्या क्या लिखती रहती शोख ग़ज़ल
अपनी चाहत के परो को खोकर मेने ये जाना
मुझ में, मुझसे लिखवाती थी वो ही सारे गीत ग़ज़ल
@गद्दार
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