मेरे अंदर का शोर गूंजता है और लाता है जिसे बाहर, उस से लिखता हूँ मै जो, उसे नाम नही देता शेर, ग़ज़ल, नज्म अशआर का वो तो होते है बस बिखरें पन्नें मेरे
कहना मेरा ही महंगा पड़ा मुझे शीशे सी बात थी पत्थर जुबानी हो गई #गद्दार
Post a Comment
No comments:
Post a Comment