मेरे अंदर का शोर गूंजता है और लाता है जिसे बाहर, उस से लिखता हूँ मै जो, उसे नाम नही देता शेर, ग़ज़ल, नज्म अशआर का वो तो होते है बस बिखरें पन्नें मेरे
सुर्ख़ होंठो से सरके साँसे शरारा फिजां में दहकता आतिशे चिनार
जुल्फ़े शानो से लहराई कमर तक यूँ ज्यों परबत उतरता हो आबशार #गद्दार
आतिशे चिनार = fire of maple leaves शानों = shoulder आबशार =waterfall
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