Saturday, 16 January 2016

ये हाथ तुम्हारा

अगर सोचूँ के ये हाथ
थामना चाहता है बारिशों को
भरना चाहता है अपने आगोश में
उन मोतीयों को जो टकरा कर बिखर जायेंगे
मानिंद ख़ुशी,
तो खो न देना तुम.......
समेट लो इन पानियों को...
जो कभी मेरा हिस्सा थी /कभी तुम्हारा /कभी हमारा
और कभी हम इस के और ..........
.ये हाथ तुम्हारा............#गद्दार

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