Friday, 22 January 2016

मेरा ख्वाब

   फूल कली सतरंगी ख्वाब
   तितली भौरा सुर्ख़ गुलाब

  घूँघट में मुखड़ा छुपता था
  बदलियों में ...... माहताब

  इक समंदर चाँदनी रात में
  ज्वार सा चढ़ता.....शबाब

   झुकते उठते    कजरे नैना
  पीता जाता .....इक शराब
 
   शबनम चुराता आकर मेरा
   होले होले.........आफ़ताब   #गद्दार


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