वस्ल से खार खाये बैठा हूँ
मै फ़ूल से तितली उड़ाये बैठा हूँ
मोहब्बतों में ये रास आया मुझको
गैरो से दिल लगायें बैठा हूँ
शब् ए हिज्र गुजरना बाकी मुझ पर
मै शाम से दिया जलायें बैठा हूँ
मुहब्बत में गद्दारियों के अंजाम देख लो
अपनी ही तन्हाईयां लुटाये बैठा हूँ #गद्दार
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