मेरे अंदर का शोर गूंजता है और लाता है जिसे बाहर,
उस से लिखता हूँ मै जो, उसे नाम नही देता शेर, ग़ज़ल, नज्म अशआर का
वो तो होते है बस बिखरें पन्नें मेरे
Friday, 29 January 2016
राधा
पानी पर बनाती ये बदलियाँ की छाह..,
,एक तुम्हारी ही तस्वीर.............
जिसे देख
हैरत में चाँद भी ................. खो रहा
और बिखरती चांदनी से पूछ रहा ...
इक तुम्हारा नाम "राधा" #गद्दार
No comments:
Post a Comment