तन्हाई में रातों सा शबाब आता है
कैसे बंद आँखों में ख़्वाब आता है
मेरी बर्बादियों में जो शुमार रहा है
उन निगाहों पे इंतिख़ाब आता है
आप समंदर ढूंढते हो डूबने खातिर
कि पानी दरिया में बेहिसाब आता है
उठ उठ आते है सौ सवाल तुम पर
"गद्दार" उन पर एक जवाब आता है #गद्दार
No comments:
Post a Comment