मेरे अंदर का शोर गूंजता है और लाता है जिसे बाहर, उस से लिखता हूँ मै जो, उसे नाम नही देता शेर, ग़ज़ल, नज्म अशआर का वो तो होते है बस बिखरें पन्नें मेरे
सरसराहट सा दिल से गुजर जाऊँगा क्या जानता था दिल में उतर जाऊँगा
कह दिया था ना करीब से ना गुज़रो मेरे शीशा ए दिल हूँ टकरा के बिखर जाऊँगा #गद्दार
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