मेरे अंदर का शोर गूंजता है और लाता है जिसे बाहर, उस से लिखता हूँ मै जो, उसे नाम नही देता शेर, ग़ज़ल, नज्म अशआर का वो तो होते है बस बिखरें पन्नें मेरे
चाहा था मैने तेरे और भी करीब आना छुते ही मानिंद शबनम के बिखर गई तुम #गद्दार
खुशबुएँ ही खोलेगी इन गुलाबो के ये ख़त क्या लिखा है शबनमी और क्या अधूरा रह गया ...#गद्दार
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