Saturday, 25 July 2015

बेबसी दिलकशी गद्दार

चलती सी आंधियों में पत्ता टिका नहीं
    अपने ही वायदों पे कायम रहा नही

      खोकर ही रह गयी है राहे मोड़ पे
      सीधे से रास्तो से तू भी चला नहीं

#gaddar

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        लफ्ज मिलते नही अपनी बेबसी के लिये
आमदा हाले दिल निकला है खुदकुशी के लिये

          ढूँढता रहता हूँ तहरीरे जिंदगी का सुकूँ
  खुशनुमा होता नही खत ये दिलकशी के लिये ।

Saturday, 18 July 2015

क़यामत

कबूल नही कयामत का दिन मेरी तकदीर का हिसाब अभी कर दे
जख्म जितने भी देने है दे दे मुझे और जो भरने है बस अभी भर दे...

शतरंज

बैठ मुहब्बत शतरंज को ले बिसात हो कोई
प्यादे की ख़ुदकुशी महज एक सवाल हो कोई

रानी की सलामती को फिक्रमंद सब यंहा
घोडा ही चल सके ढाई आखर चाल हो कोई #गद्दार

Wednesday, 15 July 2015

पत्थर मजहब गद्दार

खुदा के पाक रिश्तों में मजहब ही डर लिये रहता
      जलाके बस्तियाँ सारी हैवां ही घर लिये रहता
    
      मुताबिक आईनों के हमशक्ल होते है सारे ही
  जुनूँ इंसां का लेकिन फिर यहां पत्थर लिये रहता

#gaddar

इबादत गद्दार

कीजिऐ आज गुजारिश यहां रमज़ानों से
अपने रोज़ों की हकीकत कहे इंसानों से
  
    बैठ तो जाते है हर बार हम इबादत में
सीख पायें है क्या कुछ गीता औ कुरानों से

#gaddar

Tuesday, 14 July 2015

चाहत डायरियां गद्दार

चाहत में मोतियों सा बिखर के देखना
     समेट ना पाओगी समेट के देखना

     उलझ ही जायगी ये जुल्फ़े तुम्हारी
       चाहो तो मुझ से लिपट के देखना

       कंहा कंहा दर्ज है मुहब्बत हमारी
      डायरियों के पन्नें उलट के देखना

हर नजर तुम्हारी घायल करती है हमें
     चाहो तो बार बार पलट के देखना

#gaddar

Sunday, 12 July 2015

रिश्ते कड़वाहटे गद्दार

दर्द बहता ही रहा दिल में एक ज़माने से
   जिंदगी बाज़ आई ना नस्तर चुभाने से

  मिठाइयाँ लिए फिरते हो करीबियों की
कड़वाहटे ही बांटी है रिश्ते आजमाने से

उसकी हिफ़ाज़त को लड़ते फिरे गैरो से
   वो भी खुश ही था कंही तुझे गिराने से

   हर मौको पे पलटा फितरत से "गद्दार"
मौत आई थी मरहम लिए एक बहाने से

#gaddar

Saturday, 11 July 2015

रिश्वत आस्तीनें गद्दार

अर्जियां खोकर रह गयी पत्थर दराज में
लौटाने को मेज़ मकतल ईमान रखता हूं।

बे परवाह भीड़ में भागते बेखबर  इंसान
पत्थरो में कांच का एक सामान रखता हूं।

  आस्तीन-ए-गद्दार   कई सांप पाले हुए
  दूर की नजरो का एक  गुमान रखता हूं।

उनसे कहो रिश्वत में कही   रियायत करो
सिफारिशों का उनकी अहसान रखता हूं।
#gaddar

Thursday, 9 July 2015

इश्क़ तन्हा गद्दार

एक मुद्दत से वो मिला नहीं
      हमें भी अब गिला नहीं

      न ख़त्म होती बातो का
         यु भी सिलसिला नहीं

     जरुरत से ज्यादा धुप से
      फूल भी अब खिला नहीं

     मंजिल, राह, गद्दार, तनहा
हमसफ़र नहीं, काफिला नहीं

#gaddar

Tuesday, 7 July 2015

इश्क़ कहानिया गद्दार


तमाशाई नजर आया अपनी ही कहानियों में
    हादसे हो ही जाते है अकसर जवानियों में

       खबर थी की दौड़ कर पहुँचो ऊँचाई पे
       घुटने छिल ही जाते है इन नादानियों में

         सैलाब आये तो बहा लाती है गर्द भी
   फ़िजा ही शोर करती है इन वीरानियों में

 आँखे ना खोलो के डर से ख्वाब नाजुक है
उठ भी जा अब क्या रखा इन मनमानियों में

      "गद्दार" निगाहों में मुहब्बत तलाश कर
            दिल बहक ही जाता है दीवानियों में

@गद्दार



Sunday, 5 July 2015

इश्क़ लड़ाईया गद्दार


तुम कहती हो वफायें नहीं जानता
कहूं तुमसे  की अदायें नहीं जानता

दिल में तेरे दरकती हुई सी आवाजें
टूट जाने की तो में वजहें नहीं जानता

फितरत से मेरी  वाकिफ तो हो  ही
नोलिश ना कर  जफ़ायें नहीं जानता

पुछु तो  हलक से आवाज़ ना निकले
साफ सा कहो में निगाहें नहीं जानता

डर था तो साथ आयी क्यों सफीना में
खामोश ही रहो में किनारें नहीं जानता

ना सोच में बदल जाऊंगा आगोश में
"गद्दार" हु गद्दार वो बाँहें नहीं जानता

@गद्दार


Saturday, 4 July 2015

जमीं बदनाम गद्दार

जमीं दिल पे पैर का निशान हो गया
तुम आये लौट कर तो तूफान हो गया

तेरा कद बड़ गया, या में ढलान में हू
तेरी और देखु तो, तू आसमान हो गया

तेरी भीगी सी जुल्फों से झरते से मोती
चुरा के नजरे इश्क़ भी बईमान हो गया

वो कहे "गद्दार" तुम  ऐसे तो थे नहीं
खातिर किस के तू अब बदनाम हो गया

@गद्दार

Friday, 3 July 2015

खातिर नुमाइशे


बचपन बाद मिली हो, बेर अमिया बाकी मुझ पर
लौटाने आया हु तुम्हे, आओ कुछ फरमाइशें रखो

      चराग ए जिन्न सा कुछ कुछ  जादू सा मुझ में
            लो नशीली बातो बातो कुछ ख्वाईशें रखो

              नजर में तुम्हारी कुछ खामोशी के अँधेरे
           खातिर को मेरी उन में कुछ आराइशे रखो

                जिस्मो के तमाशे से "गद्दार" है आजिज़
                      रूह पैराहन की कुछ नुमाइशे रखो
@गद्दार

Wednesday, 1 July 2015

रास्ते इश्क़ गली गद्दार

Google images

रास्ते दिल से दो बेखबर निकले
खाक से शोले जिस कदर निकले

सांसे जर्रा जर्रा महकती चली  गई
आगोश में जब सुब्हे दो पहर निकले

इतनी अदावतो से तू नजरे ना घुमा
जाने किस घड़ी वो तेरा हमसफ़र निकले

तेरे साथ का शख्स मुझे घूरता क्यु है
डरता हु अगर कंही वो तेरा शौहर निकले

माहताब भी कंही हमसे  पूछ ना बैठे
"गद्दार" यार इश्क़ गली में तुम किधर निकले

Gaddar