मेरे अंदर का शोर गूंजता है और लाता है जिसे बाहर, उस से लिखता हूँ मै जो, उसे नाम नही देता शेर, ग़ज़ल, नज्म अशआर का वो तो होते है बस बिखरें पन्नें मेरे
धुप ने बख्शी है इज्जतें मुझे इक साया दिया जो मेरे साथ घूमता है
शोर अंधेरों का सोने नहीं देता खामोशियां लिए दिन रात घूमता है #गद्दार
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