मेरे अंदर का शोर गूंजता है और लाता है जिसे बाहर, उस से लिखता हूँ मै जो, उसे नाम नही देता शेर, ग़ज़ल, नज्म अशआर का वो तो होते है बस बिखरें पन्नें मेरे
किरनें छुपा रखी थी मुट्ठी में थाम कर लो धुप का नजारा इस सर्द शाम पर #गद्दार
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