तमाशा नजर आया अपनी कहानियों में
हादसे हो ही जाते है अकसर जवानियों में
खबर थी की दौड़ कर पहुँचो ऊँचाई पे
घुटने छिल ही जाते है इन नादानियों में
सैलाब आये तो बहा लाती है गर्द भी
फ़िजा ही शोर करती है इन वीरानियों में
आँखे खोल न डर के ख्वाब नाजुक है
उठ भी जा क्या रखा इन मनमानियों में
"गद्दार" निगाह में मुहब्बत तलाश कर
दिल बहक ही जाता है दीवानियों में #गद्दार
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