हवाएँ क्यूँ ख़ुश्क है अंदाज़ा लगाना
लौट कर जाओ और दरवाजा लगाना
मेरे होंठो के तबस्सुम से खाओ न धोख़े
जख़्म भर चला है कुछ ताज़ा लगाना
सुन लो ये ग़ज़ल सवाल के जवाब में
फिर मेरी उन बातों का अंदाज़ा लगाना
भूल जाओ कुछ नहीं अब नाम में मेरे
"गद्दार" कहकर ही तुम आवाज लगाना #गद्दार
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