Sunday, 13 December 2015

सर्द शाम गद्दार

         सर्द सी मखमली हवा में मीठा सा ये लम्स घुले
       गीली रेत के सहरा में जब सूरज भी है पिघले से

         जाने कब आँगन में तेरे  मिश्री से ये फूल खिले
   झुकी-2 सी नज़र के संग में चोरी चोरी  होंठ मिले

    

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