आइये बादबान संभालिए
अगर किनारे पे हो तो,
फिर देखिये तूफ़ां का मजा
#ग़द्दार
मेरे अंदर का शोर गूंजता है और लाता है जिसे बाहर, उस से लिखता हूँ मै जो, उसे नाम नही देता शेर, ग़ज़ल, नज्म अशआर का वो तो होते है बस बिखरें पन्नें मेरे
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देख कर इन हाथों में लकीर मेरी
फाड़ दो वो पास की तस्वीरें मेरी
शोर सी करती है यूँ खींच तान में
छटपटाने से दर्द की जंजीरें मेरी
होती नहीं है शक्लें हकीकत बारहा
ख़्वाब से जुदा होती है ताबीरें मेरी
आंधियां आह सी उठे या अश्क ए सुनामी
समन्दर तक शामिल है जागीरें मेरी
#गद्दार
हिज्र कि शाम पे ढलना मेरा
बाकी है अभी आग में जलना मेरा
जिस्म तो कई रंग से रंगा मैने
फ़क़त चेहरा कालिख से मलना मेरा
ख़्वाब छुने की जिद जो करे वो
हाथ पत्थर से कुचलना मेरा
"गद्दार" फ़ितरत से बाज आओ वर्ना
मुमकिन नहीं दिल का बदलना मेरा #गद्दार
झूठ कुछ मेरे थे कुछ सच तुम्हारे
कुछ सच मेरे हो गये कुछ झूठ तुम्हारे
तुम आगाज़ पे चुप थी, मै अंजाम में चुप था
फिर ख़ामोश पत्थर के अंदाज में चुप था
थोड़े दूर तक ही हम हमसफ़र बन चले थे
और तेज़ क़दमो से चलने के मेरे फैसले थे
तुम पीछे रह कर अब मुझे आवाज़े मत दो
तुम जानती हो ना...................................
.....मुझे लौट कर आना नहीं आता ........ गद्दार
हर इक जुर्म पे मिलती नहीं सजा
फिर इक दफ़ा तूने मुझे माफ़ किया
बेजुबां भी हक़ में तेरे बोलने लगे
खामोशियों को मेरी मेरे ख़िलाफ़ किया #गद्दार
ए साँवरी लड़की
बंद कर के मेरी आँखे
तू शरारत से हँसे
अनजान बन कर
ना पहचाने जाने का तमाशा में करू
तेरे अधरो कि मिट्टी प्यासी है अभी
मै बादल का बहाना कर
तुझ पर बरसू.....
मेरे प्यार के आराइश कि सोंधी सी महक
ना जाये चाहे कितने भी
पहलु बदलू
– गद्दार
दूर से देखा तो बस इतना लगा
इक तेरा चेहरा मुझे अपना लगा
इक लहर आकर मुझे यूँ छु गई
दरमियां वो अनकहा रिश्ता लगा
बाँटकर खुशियाँ मुझे गम ही मिले
जानकर सौदा बड़ा महँगा लगा
ख़ुश्किया नज़रों में इतना समां गई
रेत का साहिल मुझे सहरा लगा। #गद्दार
पानी पर बनाती ये बदलियाँ की छाह..,
,एक तुम्हारी ही तस्वीर.............
जिसे देख
हैरत में चाँद भी ................. खो रहा
और बिखरती चांदनी से पूछ रहा ...
इक तुम्हारा नाम "राधा" #गद्दार
वस्ल से खार खाये बैठा हूँ
मै फ़ूल से तितली उड़ाये बैठा हूँ
मोहब्बतों में ये रास आया मुझको
गैरो से दिल लगायें बैठा हूँ
शब् ए हिज्र गुजरना बाकी मुझ पर
मै शाम से दिया जलायें बैठा हूँ
मुहब्बत में गद्दारियों के अंजाम देख लो
अपनी ही तन्हाईयां लुटाये बैठा हूँ #गद्दार
पँखुड़ी के फर्श पर यूँ लेटना तेरा
नक़्शे उभारता है तुम पर गुलाब के #गद्दार
फूल कली सतरंगी ख्वाब
तितली भौरा सुर्ख़ गुलाब
घूँघट में मुखड़ा छुपता था
बदलियों में ...... माहताब
इक समंदर चाँदनी रात में
ज्वार सा चढ़ता.....शबाब
झुकते उठते कजरे नैना
पीता जाता .....इक शराब
शबनम चुराता आकर मेरा
होले होले.........आफ़ताब #गद्दार
सुर्ख़ होंठो से सरके साँसे शरारा
फिजां में दहकता आतिशे चिनार
जुल्फ़े शानो से लहराई कमर तक यूँ
ज्यों परबत उतरता हो आबशार #गद्दार
आतिशे चिनार = fire of maple leaves
शानों = shoulder
आबशार =waterfall
महकते से गेसू अदा में नज़ाकत
शरारत दिल में जुबां पे शराफ़त
नज़र में वो बांधे उड़ती तितअलियाँ
लचकती कमरियां चलना क़यामत #गद्दार
पहले रखो ये अपना दामन संभाल के
फिर देखना मुझ पर कीचड़ उछाल के
आज कि ये रात बस चैन से गुज़रे
कल से मै रखूँगा ये दिल निकाल के
झूठ मै कभी कहता नहीं तुम्हें
देता नहीं जवाब बस कुछ सवाल के
"गद्दार" उस गली से गुजरो एहतियात से
रखता है वो तेरे नाम के पत्थर संभाल के #गद्दार
अपनी जुबां से कहो के हद में रहें
बात उतनी ही करे जो तेरे कद में रहें
आता है हर तरीके से समझाना मुझे
खास कर उनको जो किसी मद में रहें #गद्दार
सभी तो सो ही जाते है सिसकियां लेकर
इक मुझे ही नींद आती नहीं है क्यूँ #गद्दार
चाहा था मैने तेरे और भी करीब आना
छुते ही मानिंद शबनम के बिखर गई तुम #गद्दार
खुशबुएँ ही खोलेगी इन गुलाबो के ये ख़त
क्या लिखा है शबनमी और क्या अधूरा रह गया ...#गद्दार
इक शाम पे आता है जब ख्याल तेरा
सुबह तक होश में फिर आता नहीं हूँ मै #गद्दार
खो जाओगी जो मिलोगी इन तन्हाइयों में
नज़र आता नहीं साहिल से कुछ गहराइयों में #गद्दार
अगर सोचूँ के ये हाथ
थामना चाहता है बारिशों को
भरना चाहता है अपने आगोश में
उन मोतीयों को जो टकरा कर बिखर जायेंगे
मानिंद ख़ुशी,
तो खो न देना तुम.......
समेट लो इन पानियों को...
जो कभी मेरा हिस्सा थी /कभी तुम्हारा /कभी हमारा
और कभी हम इस के और ..........
.ये हाथ तुम्हारा............#गद्दार
यूँ तो कहने को बहुत कुछ है इस शेर में मेरे
लुत्फ़ इस बात का के चुप रहा जाए। #गद्दार
मुक़ाबले इन वफ़ाओं के में बेवफ़ा शायर
वो दिल जीतती रही मै लफ्ज़ हारता रहा #गद्दार
सरसराहट सा दिल से गुजर जाऊँगा
क्या जानता था दिल में उतर जाऊँगा
कह दिया था ना करीब से ना गुज़रो मेरे
शीशा ए दिल हूँ टकरा के बिखर जाऊँगा #गद्दार
यूँ हाल पूँछकर वक़्त जाया ना कर
इसी हाल में ख़ुश हूँ साया ना कर
इक तुम को साया नज़र आता नहीं
रौशनी भी इतनी जियादा ना कर
रास्तो का बिछड़ना देख लिया मैने
मिलने किसी हाल में आया ना कर
आइना दिखलाता है शख्शियत मेरी
कौन है "गद्दार" याद दिलाया ना कर #गद्दार
तन्हाई में रातों सा शबाब आता है
कैसे बंद आँखों में ख़्वाब आता है
मेरी बर्बादियों में जो शुमार रहा है
उन निगाहों पे इंतिख़ाब आता है
आप समंदर ढूंढते हो डूबने खातिर
कि पानी दरिया में बेहिसाब आता है
उठ उठ आते है सौ सवाल तुम पर
"गद्दार" उन पर एक जवाब आता है #गद्दार
तुम्हें रात भर सोचकर देखा
खुद को रात जगाकर देखा
सर्द हवा सी दस्तक पर यूँ
दिल दरवाज़ा खोलकर देखा
क्या सोचती हो सोचकर देखा
क्या बोलती हो बोलकर देखा
नींद चुभी जब पलकों पर तो
बंद आँखों को खोलकर देखा
साँस उठी जब महकी महकी
सिरहाने टटोलकर देखा #गद्दार