तीर नजरों से चले तो शरारत है
बात दिल में चुभे तो शिकायत है
कहने पे जो बरपे हंगामें अक्सर
चुप रहता हूँ तो मेरी आफत है
इस ग़ज़ल में तुम्हे कुछ न मिलेगा
राज राज रहे इस बात से राहत है
अगर जो कहता हूँ "गद्दार" खुद को
इस दौर में सच कहना मेरी शराफत है #गद्दार